भारतीय रुपया $1=₹90 के पार: इतिहास का सबसे बड़ा पतन और आम आदमी पर इसका असर

भारतीय रुपया $1=₹90 के पार: इतिहास का सबसे बड़ा पतन और आम आदमी पर इसका असर

आज भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Market) के लिए एक ऐतिहासिक और चिंताजनक दिन रहा। बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.05 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया। यह पहली बार है जब रुपया इस मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण $1=₹90 के निशान को पार कर गया है। मंगलवार को ₹89.95 पर बंद होने के बाद, बुधवार की शुरुआत में ही यह ₹90.05 के नए निचले स्तर पर फिसल गया। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह पतन क्यों महत्वपूर्ण है और इसके पीछे कौन से Google Keywords काम कर रहे हैं, आइए जानते हैं।

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रुपए में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई? (Key Reasons for Rupee Fall)

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय रुपये की गिरावट (Rupee Fall) केवल घरेलू कारकों पर आधारित नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबावों का एक जटिल मिश्रण है।

  1. मजबूत अमेरिकी डॉलर (Strong US Dollar): वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीदों के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में डॉलर की ओर भाग रहे हैं। डॉलर की मांग बढ़ने से उसका मूल्य लगातार बढ़ रहा है।
  2. FII की बिकवाली (FII Outflow): जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की निरंतर बिकवाली भी एक बड़ी चिंता है। कॉर्पोरेट आय और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की मजबूत वृद्धि के बावजूद, रुपया और गिरने के डर से FIIs भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
  3. आयातकों की डॉलर खरीद: आयातकों द्वारा लगातार डॉलर की खरीद से डॉलर की मांग बढ़ रही है, जिससे रुपये पर और दबाव पड़ रहा है।
  4. भारत-अमेरिका व्यापार समझौता (Trade Deal Delay): विश्लेषकों का मानना ​​है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी भी बाजार की धारणा को कमजोर कर रही है। यदि यह डील फाइनल हो जाती है, तो रुपये की गिरावट रुक सकती है।

आम आदमी की जेब पर सीधा असर (Impact on Inflation & Imports)

रुपये का डॉलर के मुकाबले कमजोर होना (USD INR) सीधे तौर पर आम उपभोक्ता को प्रभावित करता है।

  • बढ़ेगी मुद्रास्फीति (Inflation): भारत अपनी जरूरत का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, जिसमें कच्चा तेल सबसे प्रमुख है। रुपया कमजोर होने से आयातित सामान (Imported Goods) खरीदने के लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसका सीधा मतलब है कि पेट्रोल, डीजल, और खाद्य तेलों के दाम बढ़ेंगे, जिससे पूरे देश में मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ेगी।
  • महंगे होंगे गैजेट्स: मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जो चीन या अन्य देशों से आयात किए जाते हैं, उनके दाम में भी भारी वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • विदेश में पढ़ाई और यात्रा: जो छात्र विदेश में पढ़ने या लोग यात्रा के लिए जा रहे हैं, उनके लिए डॉलर खरीदना अब $1=₹90 के हिसाब से महंगा हो जाएगा।

आगे की राह और RBI की भूमिका

बाजार अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर देख रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि RBI रुपये को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, जिससे व्यापारियों के मन में और डर पैदा हो रहा है। यदि यह गिरावट जारी रहती है, तो RBI को विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का उपयोग करके डॉलर बेचना पड़ सकता है, ताकि रुपये को स्थिर किया जा सके।

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की अस्थिरता पर बारीकी से नजर रखें और रुपये की गिरावट के जोखिम से बचने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं।

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