FIIs की ताबड़तोड़ बिकवाली: दिसंबर के पहले हफ्ते में भारतीय बाज़ार से ₹11,820 करोड़ की निकासी, जानें मुख्य कारण
भारतीय शेयर बाज़ार में विदेशी निवेशकों (Foreign Institutional Investors - FIIs) द्वारा पूंजी निकासी का दौर जारी है। दिसंबर महीने के पहले ही सप्ताह में, विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाज़ार से भारी मात्रा में ₹11,820 करोड़ ($1.3 बिलियन) की पूंजी निकाल ली है। इस बड़ी निकासी से बाज़ार पर दबाव बढ़ गया है, जिससे निवेशकों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
बिकवाली का मुख्य कारण: रुपये का तेज़ कमज़ोर होना
विदेशी निवेशकों द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में पूंजी निकाले जाने का मुख्य कारण रुपये (Rupee) के मूल्य में तेज़ गिरावट है।
विदेशी निवेशकों के लिए रुपये का कमज़ोर होना एक बड़ी चिंता का विषय है। जब रुपया गिरता है, तो FIIs द्वारा निकाले गए भारतीय रुपये को जब वे अपनी घरेलू मुद्रा (जैसे डॉलर) में बदलते हैं, तो उन्हें कम राशि मिलती है। यह उनके लाभ को कम कर देता है, जिससे वे पूंजी सुरक्षा के लिए बिकवाली का रास्ता अपनाते हैं।
---पूंजी निकासी का पैटर्न और ऐतिहासिक संदर्भ
दिसंबर के पहले सप्ताह में हुई यह निकासी कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह एक जारी ट्रेंड का हिस्सा है:
- नवंबर 2025 का प्रदर्शन: दिसंबर की इस निकासी से ठीक पहले, नवंबर में भी FIIs ने ₹3,765 करोड़ की शुद्ध निकासी की थी।
- कुल वार्षिक आउटफ्लो: इस ताजा निकासी के साथ, वर्ष 2025 के लिए FIIs द्वारा भारतीय इक्विटी बाज़ार से निकाली गई कुल पूंजी अब बढ़कर ₹1.55 लाख करोड़ हो गई है। यह आंकड़ा विदेशी निवेशकों के बीच भारतीय बाज़ार को लेकर बनी अनिश्चितता को दर्शाता है।
बाज़ार पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
इक्विटी बाज़ार से FIIs की लगातार निकासी से बाज़ार पर दबाव बढ़ता है।
- सूचकांकों पर दबाव: FIIs आमतौर पर लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करते हैं। उनकी बिकवाली से Sensex और Nifty जैसे प्रमुख सूचकांकों में अस्थिरता (volatility) बढ़ सकती है और गिरावट देखने को मिल सकती है।
- स्थानीय निवेशकों की भूमिका: इस बिकवाली के बीच, बाज़ार को स्थिरता देने में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) और खुदरा निवेशकों (Retail Investors) की खरीद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- मुद्रा बाज़ार की अस्थिरता: रुपये की कमजोरी जारी रहने पर FIIs की बिकवाली जारी रह सकती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है।
