6 जून 2025 | लेखक: बिजनेस डेस्क
मुंबई: देश के सबसे बड़े निजी बैंकों में शामिल HDFC बैंक एक बड़ी कानूनी उलझन में फंसता नजर आ रहा है। बैंक के प्रबंध निदेशक और CEO सशिधर जगदीशन के खिलाफ Mehta परिवार द्वारा पुलिस में FIR दर्ज कराई गई है। यह शिकायत मशहूर Lilavati Kirtilal Mehta Medical Trust से जुड़ी है, जो मुंबई स्थित प्रतिष्ठित Lilavati अस्पताल का संचालन करता है।
इस विवाद के सामने आने के बाद न केवल बैंक के भीतर, बल्कि शेयर बाजार में भी हलचल मच गई है।
🚨 क्या है पूरा मामला?
Lilavati ट्रस्ट, जो कि Mehta परिवार द्वारा संचालित है, ने आरोप लगाया है कि HDFC बैंक के CEO ने ट्रस्ट के आंतरिक मामलों में दखल दिया और वित्तीय अनियमितताएं कीं।
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ट्रस्ट का आरोप है कि एक ट्रस्टी के पिता को परेशान करने के लिए करीब ₹2 करोड़ की राशि दी गई थी।
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FIR में दावा किया गया है कि बैंक और कुछ अन्य व्यक्तियों ने ट्रस्ट की गतिविधियों को बाधित करने का प्रयास किया।
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यह शिकायत मुंबई की पुलिस में दर्ज की गई है और मामले की जांच चल रही है।
🏦 HDFC बैंक का जवाब
HDFC बैंक ने इस पूरे मामले को झूठा, दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोध से प्रेरित बताया है।
बैंक का कहना है कि यह शिकायत Mehta परिवार द्वारा लिए गए पुराने लोन की वसूली से बचने के लिए की गई है।
क्या है लोन का विवाद?
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Mehta परिवार की एक कंपनी Splendour Gems Ltd पर साल 2001 से ₹65 करोड़ से ज्यादा की राशि बकाया है।
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बैंक ने उस पर डेब्ट रिकवरी ट्राइब्यूनल (DRT) से रिकवरी सर्टिफिकेट भी हासिल किया हुआ है।
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अब बैंक उस लोन की वसूली कर रहा है और Mehta परिवार का एक धड़ा इस वसूली को रोकने के लिए इस तरह के आरोप लगा रहा है।
📈 शेयर बाजार में हलचल
जैसे ही यह खबर सामने आई, HDFC बैंक का शेयर शुरुआती झटके के बाद संभल गया।
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शेयर ने हल्का उतार-चढ़ाव दिखाया लेकिन निवेशकों ने मामले को “ज्यादा बड़ा रिस्क नहीं” मानते हुए प्रतिक्रिया दी।
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एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आता, बैंक की साख पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
🧠 विशेषज्ञों की राय
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कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिहाज से यह मामला गंभीर है।
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FIR का दर्ज होना CEO के खिलाफ जांच को जन्म दे सकता है, लेकिन इसका मतलब दोषी होना नहीं होता।
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बैंकिंग जगत में भरोसे और पारदर्शिता सबसे अहम होती है, और यह केस उसी की अग्निपरीक्षा बन सकता है।
📌 आम निवेशकों को क्या करना चाहिए?
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शेयर बेचने की जल्दबाजी न करें — मामला अभी जांच के शुरुआती चरण में है।
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बैंक की आधिकारिक प्रतिक्रिया पर भरोसा रखें — HDFC बैंक का रिकॉर्ड अब तक मजबूत रहा है।
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आगामी तिथियों और कोर्ट की सुनवाई पर नजर रखें — अगर केस लंबा खिंचता है तो असर हो सकता है।
✅ निष्कर्ष: साख और सिस्टम की अग्निपरीक्षा
HDFC बैंक के CEO पर FIR दर्ज होना न सिर्फ बैंक के लिए, बल्कि पूरे वित्तीय सिस्टम के लिए एक टेस्ट केस बन सकता है। यदि आरोप साबित होते हैं, तो यह कॉरपोरेट गवर्नेंस और बैंकिंग रेगुलेशन के लिए गंभीर चुनौती होगी।
फिलहाल के लिए निवेशकों और ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सचेत रहना ज़रूरी है। कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हुए यह देखना होगा कि मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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